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राजस्थान रा जिला रो नक्शो
(आभार राजस्थान पत्रिका)

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देवकिशन राजपुरोहित

नांव : देवकिशन राजपुरोहित
शिक्षा : उच्च माध्यमिक कक्षा, रत्न (वर्धा)
जन्म-तिथि अर स्थान : 23-121-1944 ई. चम्पाखेड़ी (नागोर-राज.)
मौजूदा काम धन्धो : अध्यापकी

छप्योड़ी पोथियां :
बरजूड़ी रो तप (कहाणी), दांत कथावां (कहाणी), याहिया मान लै कैणो (कवितावां)

अणछपी रचनावां :
मरूधरा, झमकूडी, वीरां री जलमभोम-नावां रो पोथियां

सदीव रो ठिकाणो:
चंपाखेडी, पो. सिरासना (वाया रेण-नागोर)

मौजूदा ठिकाणो :
राज. उ.प्रा. विद्यालय, सिरासना (वाया रेण-नागौर)



कहाणिया (किताब- वरजूड़ी रो तप)

दूध किंणरो ?

एक जाट हो। जिंणरो नांव कोंनो हो। कांनों खेत में जांवतो। झमकूड़ी उंणरी लुगाई रोटी बाटी कर अर भातो ले अर आंवती। जद काँनो गोल खोल अर रोटी जीमतो तो, झमकूड़ी धोंल्या ने पाँणी पाय चराय अर खेत में सूड़ सवाड़ करती। कांनो अँर झमकूड़ी दौनूं धणी लुगाई घणा सोरा हा। एक हो छोरो। जिंणरो नांव हो नैन्यो।

एक वाला री बात है। भाता नै मोड़ो ह्वेगो, दिन माथे आयगोष नैंन्यो जागियो नीं हो। रोटी करण में झमकूड़ी नें झूंझल आंवण लागी। जेहड़ी तेहड़ी रोट्यां बणी बणाी ले, अर नैन्या नै समालियो। नैन्यों धापोड़ो हो। थणां में दूध आयोड़ो हो। झमकूड़ी एक वाटकड़ी में दूध काड़ लियो, के आगे खेतां जाय अर पासूँ। नैन्या ने लारे मगरां माथै, झोली में घाल, अर माथा माथै बलदां रै चारो अर एक हाथ में छा राबड़ी रो कुलड़ो दूजोड़ा हाथ में भातो अर चोरा रे दूध ले, वैगी वैगी व्हीर ह्वेगी। खेतां जांय, खेजड़ियां रे पाखती भातो मेल, दूध रे अर भाता रे माथे आडी रो ढाकण देय। काँना रे पाखती सूं धोलयां नै लैगी पांणी पावण। कांनों रोटी जीमण नै खैजड़िया रे पाखतो गियो। एक रोटड़िदूध में मसल अर जीमली। पछे छा-राब, धापअर जीमी। जितरेक में झमकूड़ी धोलयां ने पाणी आप आयगी पूलो निर्यो, अर नैन्या नै लेय अर बूझ्यो :- नैन्या रा काका :- बाटक्डों में लो दूध कठै ? कांनों राबड़ी रो कुलड़ो धोंवतो थको कयो : थूं धूध घणो ल्याई जिंणसूं बूझै है। एक टीपरीक तो दूधल्याई। बूझै है के दूध कठे। एक रोटड़ी नीट चुरीजी हो. झमकूड़ी बोली :- अरे रांम राम गजब ह्वेगा। दूध म्हूं तो म्हारा थाणां रो नैन्या खातर ल्याई ही। थें खायगा। कांनो बोल्यो :- अरे रां राम गजब ह्वेगा। दूध तो मां रो बीवे है, अर म्हूँ लगाई रो पी लियो। बेटी की बाप, पैली कैणो तो हो। पिए अबै कांई ह्वे। अबै आंपणं तो घरवास नीं रैवै। झमकूड़ी अर कांनो, घणो पिसतावो कर्यो. जद भैला रैय न एक दूजा नै बोलै बतलावै तो क्यै कैवै। कियां रेवे, झूंझल आंवण लागी। किणओं सू बूंझ्यो जद वो बोल्यो :- जायल रा जाट पाखथी, जाय, थे थांरो न्याव करावो।

कांना रे अर झमकूड़ी रे, आ बात दाय आयी। वै आपरी गाड़ी जोती अर पूगगा जायल। जायल में जिको जाट न्याव करतो हो, उंणारी गडाल में गिया। गाडी खोल अर बलदां ने पूलो निर्यो,। जाय रां राम री करी, चौधरी सूं। पछे सुख समीं चार एसक दूजां ने किया अर बूज्झा। फैर कांनो आपरो आंवणारो कारण बतायो। किंण तरै सूँ झूमकूड़ी रो दूध पीयो। अबै किंम तरै रैवता हा। अबै किंण काम ाया हा। जाट सुण अर बात ने समझी। पिंण कीं समज में नीं आयी। क्यूंकै ईणां नै किया समझावूं ओर ईणां नै क्ये बतावूं। दूजी बात कै चोधारी ठाबो हो पिंण साठी माथै पूगगो हो। बोमोलो पड़गो, जितरेक में भंवराई बाबा नै बैपारी करांण तांणी आयी। बाबा नै मोलो पड़्योड़ो देख अर कराण बूझ्यो। जद चौधरी आपरी बेटी नें सगली बात बताई। भंबराई बोली :- बाबा ! ओ न्याय तो म्हूँ अबार करदूं। थै बैपार रो। बाबा दाजी ह्वेगो अर बैपारो कर्यो। भंवराई तासली मांज, कांना सगली बात बूझी। पचै बूझ्यो :- कांना आ लुगाई थारा लारै आई जद, कितरा साल री ही ? कांनो कैवतो जिणसूं पैली झमकूड़ो कयो :- म्हूँ बीस वरस री ही ? कांनो नसड़ी रो ललको करयो। फेर भंवराई बूझ्यो :- अबा आ कितरा वरसां री है ? कांनो बोल्यो :- बीस अर तीन बरस री ही। भंवराई कयो :- जद थारै लारै आयी, तो इणरे दूध हो ? कानो कयो :- पैली तो दूध कोनी हो. भंवराई बूझ्यो :- जे आ आजतांणी आपरै बाप रै घरां कंवारी रैवती तो दूध ह्वे तो ? कांनो बोल्यो :- कोनी ह्वेतो। फैर भूझ्यो :- टाबर-टिंगर कंवारी रेवंती हो ह्वेता ? कांनो बोल्यो कोनी ह्वेता। अबार थारै क्यै टाबर है ? भंवराई बूझ्यो एक छोरो है, कांनो जवाब दियो। ओ छोरो किंणरो बाजे ? भंवराई फैर बूझ्यो। कांनो बोल्यो :- छौरो तो म्हारो वाजै है। भंवराई बोली :- ओ दूध, इंण छौरा रे भेलो ह्वियो के न्यारो ? कानो क्यो :- ह्वियो तो भेलोईज हो। भंवराई बोली जद ओ छौरो थारो है तो दूधई थारो है। समझ्यो ! ई खातर, थूं झूमकूड़ी रो दूध पी अर कीं पाप नीं कर्यो। आ थारी लुगाई ही, अर रैवेली।

कानो अर झूमकड़ी, राजी खुसी आपरे घरां आया। झमकूड़ी नैन्या नैं हांचल देंवती ही। जितरेक में कांनो झमकूड़ी रे पाखती खांगो बैठ, गालड़ा रे आंगली री टिमकी देंवतो थको बोल्यो :- नैन्या री मां ! बो दूध किंणरो ? झमकूड़ी लाजां मरती, गु गटो निचो खैच्यो, मुलकती-मुलकती क्यो :- ईंया धौलै बैपारां पाखती बैठो, कोई देखलेसी तो ? कांनो बोल्यो :- देख लेसी तो क्यै ह्वियो। म्हूँ कोईं चोरी थोड़ीई करूं हूँ। म्हूँ तो बुझूं हूँ, कै बो दूध किंणरो ? झमकूड़ी होले सेक, मुलकती मुलकती बोली :- थांरों !

राजस्थान


ओ म्हारो राजस्थान है। भोला अर सूरवां आदम्यांरी आईज जल्म भौम है। ईं राजस्थान में कठैई डूंगर है अर कठैई बैवे ई नंदियाँ, कठैई अरटां माथै चरड़ चूंरी अर कठैई खेतां में सणसटाण री बायरी री बोली सुणीजे कठैी बागां में कोयलड़ी टहुके अर मौरिया नाचे अर कठैई धोरां में उंटां माथे पांणी री पखालां भर अर उगाड़े डीलां मिनख आवे अर जावे। कितो फूटरो अर मोटो औ म्हांरो राजस्थान है।

ई में काल तो पड़तोईज रैवै है पिण धिन है ई मेंजलम लेंवणियां ने जिका भूखा तिरसा ई रकी भौ ने छोड़ अर कठैई जावणरी नीं करै। इतो मीठो ओ मरूधर है। मेवाड़, मारवाड़, भाटीपो, बीकानेरी, शेखावटी अर जैपुरियो आं सगलां ने भेलो कर अर ओ राजस्थान बाजै है। ईं मैं फौगड़ा कैरटा खेजड़्यां अर बोरड़्या रो घाटो नीं है। ईं राजस्थान रे मांयनेंई तो सांभर अर, पचपदरो है जठे सूं सगला देस में लूण मेलीजे है अर सगली रेलां खारत पलाणा रा कोयला घणा कामरा है। आगरा रा ताजमेहल वालो मकराणा रो मूंगों भाटो ईं राजस्थान रा मकराणा में मिले है। काकड़ी, मतिरिया, बोरिया, केरिया अर सांगरी रो फल ईंणीज राजस्था में निपजे हैअर खांवण ने मोठ बाजरी।

ईं राजस्थान में जलम्या हा राणापतराय दुरगदास जी राठौड़ पीरथीराज जी चौहाण, जकांईं रे खातर, मातर भौमरे खातर, आपरा पीराण होम दिया। गोग जी चोवाम, रामदेवजी अर वीरमदेवजी, तेजाजी जाट अर पोथल देजी पीरोत, पराया दुखां नें दलण खातर अठैई औतार लियो हो। भासा जिस्या सेठ अर पना जिसी दाई अर पदमणी जिसी रांणी नें पैदा करणियो ओईज राजस्थान है। ईंराण कण कण में मीरां, वृन्द, चन्दरबरदाई, अर बिहारी री वांणियां रमे है। ई राजस्थान में सताईस जिला है अर पंचायती राज री नींव ईं में ई गुणसठ रे दसवां मींनारीं बै तारीख नै नैरूजी नागौर में राली ही। ओ बोईज नागौर है जठेरा अमरसींघझी राठौड़ जौधा, अर बीरबल अकल रो बादर ह्विया हा।

नगरी 2 अर गांव 2 में लड़ाई ही जिकांरी धरम हो, दुःखियां खातर अर गाय बामण री रूखाली, अर मातर भौमरी रूखाली खातर, ठोड़ 2 माथै बादर मुछ्यांरे बट देंवता रेंवता हा. अमलड़ा खातर, ठोड़ 2 माथै बादर मुछ्यांरे बट देंवता रेंवता हा, अमलड़ा गलता अर मनवारां ह्वेती ही। घोड़ांरा असवार कठैरा हा ? अठेराईज हा। ईं राजस्थान री नगौरी बलदांरी, सांचोरी गायांरी, अर मालाणी रा घोड़ां री, अर बीकानेरी रा उंठाँरी होड करणियो बीजो देस कोनी।

भोला भाल अर उंचा धोत्या पैर्योड़ा अठै आदमी रैवे मोट धाबला अर थापल चूनड़्यां ओढ लुगायां। गाँवरा मालदार अर बामण, राजपूत अर बाणियां रो पैरावो की चोको है। पिंण माड़ो पैरावो बीजोड़ारोई नीं है। बोले घ्जीङ कारो दे अर, चीलमड़ी अर होकांरी धमालाँ उड़े बै अठैई। ठौड़ 2, गाँव गाँव में नींदर है सत्संगा ह्वे, जागण लागे अर पड़ बचे बो ओईज राजस्थान है।

हतायां माथै रातरा लांबी लांबी वातां चालै, लोग सुणे, एक बात में पांच पांच बातां चालै लोग जाणे आंख्यां सूं देखरिया है। आं सनोमां सूंई घणी आछी लागे बै बातां। एकईज बोली राजस्थानी। बीजाँरी आस नीं करे। आस करै आपरा बूकियां री, रात अर दिन करसो काम करतोईज रैवे है। असल रूप देखणी ह्वे राजस्थान रो, तो गांवा रा करसां में देखो, अर देखो छाल्या अर लरड़्यां चरावणियां गवाल्यां में. ईं मायड़ भौम अर मायड़ भासा ताँणी पिराँण देवणा पड़े तोई थोड़ा है।

चोर कुण ?

एक सेठ हो धरमचन्द ! उंणारे च्यार बेटा हा ! सेठ वरस पूणसौकरो ह्वियो। जद मांद पड्यो। रामंजी रो बुलाओ आयोड़ो दीठो तो बेटां ने कियो :- अगुणोड़ा बुरज में हीरा, पना अर सोनो चांदी गाड़्योड़ो है थै च्यारूं जणा, म्हारै पछै सगलो धन बिराबर ई बांट लीजो। सेठांरा साँसा पूरा ह्विया। बेटा धरम दाढ दी। किरिया करम कराया। बार दिनां पछे, च्यारू भाई भेला ह्वेअर बुरज माथै गिया। च्यारू खुणां समाल्या। पिंण धनरो तो फूंगतोई नीं मिल्यो। च्यारूं भाई पाछा आया, कै सेठां रे पाखती धन धखोई। वै झूठ कदैई नीं बोलता हा। च्यारूं भायां सूं आ बात छानी नीं ही। धनरी अतोपतोई च्यारूं भायां नै हो दूजा ने नीं हो। च्यारूं जणा एक दूजाने चोंर ठैरायो। घर में राड़ पड़गी। कोई भलो मिनख समझाया। राड़ आडी बाड़ राखो। ईण तांणी जोधपुर जाय अर दरबार सूं न्याव करायलो। च्यारूं भायां रे आ बात जची। ज्यारूँई जोधपुर गियापरा। बठै जाय अर दरबार सूं घणी खम्मा करी। न्याव करण सारू सगली बात माड नै करी। दरबार जायल रा जाट रे नांव कागद लिख्यो कै च्इंणां में चोर कुंण है ? चोर नें चोर, अर सावूकार ने सावूकार कर मेलजो। गलती रैगो तो गाँव जपत करदूंला।छ कागद

लेय नै सेठरा च्यारूं बेटा जायल पूगा। जाटने कागद दीयो। जाट गाकद रा आखर देखतां पांण जाणगो कै अन्नदाता रो कागद है पढ़ियो अर सोच्यो, पिण कीं सार नीं निकल्यो। जद चौधरी गडाल में सूं घरां गियो। जाट री बेटी भंबराई भैसायं दुवती ही। चौधरी मांचा माथै बैठतो अलो निसकरो नांख्यो। निसकारो सुणतां पांण, भंवराई जोणागी कै आज कीं अर कीं बात ह्वी है। बूझ्यो, जद चौधरी, अन्नदाता रे कागद री बात करी। भंवराई क्यो :- म्हूँ हमारा न्याव करूं। थे जीव सोरो राखौ।

ब्यालू कर करया। भंवराई सेठरा मोटाड़ा बेटा नें बुलायो। एक बात मांडी :-एक मोटो सैर हो। जठै एक राजा राज करतो हो। राजा के कंवरङर एक सेठ रे कंवर रै एक दाँत रोटी टटूती ही। दोनूं जणा भेले उठता, बैठता, रमत अर रेंवता हा। एक बेला री बात है के दोनूं जणा कौल बनच कर्या। राजा रे कंवर रो ब्याव पैली ह्वेला तो सेठ रो बेटी पैली रात, कंवराणी रे भेलो रेवेला। सेठरे कंवर री ब्याव ह्वियो तो, राजारी कंवर, पैली रात सेठांणी रे भेले रेवेला।

दिन लागां दोनूं कवरड़ा मोटा ह्विया। सेठरा कंवर रे टीको आयो ढोल रे ढमाके, कौल खेम सूं फेरा ह्वेगा। सेठरो कंवर, आपरी परण्योड़ी नें, नी बतलाई। जानाँ पाछी आयगी। पिण सेठरो कंवर, कोल वचन पालण खातर, आपरी लुगाई नें नीं बतलाई। लाजाँ मरती बातई नीं करी। एक वेला सेठांणी, आपरे धणी रा पग पकड़ बूझ्यो मने रहूं दायनीं आयी के म्हारो घर धराणों दायनीं आयो। म्हारा मा बाप धन थोड़ो दियो, कै दायजो अर जिमणियार दायनी आयी। म्हांसूं कोयो आवल काबल बोल सुण्या कै ओर कीं भूल ह्वी। जिण सूं आप म्हनैं बतलावो नीं। म्हूँ आपसूं माफी माँगू हूँ जाँणगो चावू हूँ। सेठरो कंवर

बोल्यो थै म्हनै घणाई फूटरा लागो हो दत जायजो घणोई दाय आो। थाँरी की भूली कोनी। आतो ओरइज बात है घणो हट करयो। जद आपरा बालापणरा कोल वचन बताया। सेठांणी समझदार ही। वा पति ने परमेश्वर मांनती ही। वा क्यो :- आपरा हुकम सूं, म्हूं मरण नैं त्यार हूँ। आप ज्यूं फुरमावोला, म्हूँ करूंला। आपरो कोल, म्हूँ काले पूरो करदूंला। आप राजा रा कंवर ने समीचार मेलदो। सेठरो कंवर दिनूंगता पांण राजा रा कंवर रे पाखती गियो। उणनैं समझायो कै वो आज आपरो कोल पूरो करे। सेठांणी आज आवेला। राजा रो कंबल हामल भरी।

दोपांरा पछे सेठाणी, आपरा गाबा लता सिनना संपाड़ कर पैर्या। काजल टीकी लगाय, सोला सिणगार अर बतीस आभूषण कर, साँवण री तीजणी अर आभारी बिजली ह्वुज्यु ह्वेगी। आथणा रा आपरा धणी री आसीस लेय अर कुल देवू सूं हाथ जोड़ अर कियो :- हे माँ म्हारो सत अरपत थारे हाथ है। म्हूं तो कीं नीं जाँणूं हूँ। थोड़ो अंदारो पड़्यो जदद हीरा अर माँणक मोतियां रो थाल भर रिमझिम रिमझिम करती राजा रे गड जावण नें व्हीर व्ही गेला में च्यार चोर मिल्या। इंणने लूंटणी चावता हा। जद वे सेठाँणी सूं धन माग्यो, सेठाँणी क्यो म्हूं कोल वचन पूरा क अर आवती, ओ धन माल सगलो थाँने दे दूंली। चोर जाण्यो राजा क्ये करै। थोड़ी वेला, खोटी व्हेणो चोको। चोर कोल वचन धरम इमान ले दै अर बैठगा। सेठाँणी गी परी आगे राजा रो कंवर उभो हो। सेठाँणी आरती उतारी, राजारो कंवर चुनड़ी ओडाय अर उणनै आपरी, धरम बेंन बिणाय, अनाप सनाप धन माल दियो। पठे सेठाँणी नैं व्हीर करी। गेला में सेठाँणी, चोरों रे पाखती आय अर क्यो :- के ल्यो भाई, ओ धनमाल। चोल सगली बाज बूझी। पछे क्यो :- के जद राजारो कंवर आपरी निंबत, नीं बिगाड़ी। तो भाई थूंई, म्हारै धरम री बैन है।

ले ! म्हाँरै पाखतो, सुगनाँ रा च्यार रिपिया है। ए थारे ओडना काँचली रा समाल। सेठाँणी राजी खुशी आपरे घराँ आयगी।

इतरी बात सेठरा मोटोड़ा बेटा ने सुणय अर पछे भंवराई बूझ्यो :- थाँरे आ बात कियाँ जची। कुंण खोटो कुंण खरो ? सेठरो बेटो बोल्यो :- रग है सेठ रा कंवर नैं जिको कोल वचन राख्या। घणों रंग है सेठाँणी नें ! जिकण घणी रो केंणो मान्यो। घणों घणों रंग राजा ने ! जिको आपरी निबंत साबत राखी। किरोड़ रंग है चौरां नें ! जिके अनाप सनाप धम माल रे लात मार दी।

भंवराई बारी बारी सूं देजोड़ां तीनूं सेठरां बेटा नैं बुलाया। मोटोड़ा दोयतो सागई कहाँणी रो मोटोड़ा भाई री तरई, जबाब दियो। पिंणि छोटकियो सेठरो बेटो क्यो :- धिरकरा सेठरा कंवर नें ! जिको आपरी लुगाई नें दूजा रे पाखती मेली। घणा धिरकार है सेठाँणी नें ! जिकणा घणी रा केवण सूं पराया मिनख रे पाखती गी। सैंस धिरकार राजा नें ! जिकण आस ले अर आयोड़ी नें धरम बैन बिणायली। किरोड़ धिरकार है चौराँ नैं ! जिकै अपापय सनामप धन रे ठोर मार दी। बाँरी सात पीढी ईतरो धन नीं ला सकेला।

जद च्यारूँ सेटरा बेटा, गडाल में गिया परा तो भंवराई अर चौधरी दरबार नें कागद लिखियो। के ठोटकियो चौर है। कागद च्यारूं भायां नें, खाम चेप अर दियो। के इँण में थाँरो न्याव है। च्यारूं भाई कागद दरबार नें दियो। खाम खोल अर पढियतो तो चौर छोटकियो। दो चार लपतराँरी ठोकी तो हाँकरगो भायाँ नें बंट देवणरा, कोल वचन कर अर छूटो। च्यारूं भाई धन बाँट लियो। गाँव में वाताँ चलती ही कै चौर कुंण ? जद पाछो लोग केंवतो सेठरों छोटकियो बेटो।

कमसल कुंण ?


एक लसेठ हा जिणांरो नांव हो चनएमलजी। उणांरी सेठाणी हा धरमीबाई। नेमी अर धरमी। सेठई घणाई नेमी, धरमी हा। सेठरे रामजी राजी हा, च्यार जोधजवान बेटा हा। जद सेठांरा सांस टूटण लागा, तो आपरो जमीं, हाट, लेण-देण रो, ऐक पाना माथै लिख्यो। के च्तीन पांती अर एक पांती नींछ लोग बूझता पिंण सेठारी हंसी उडगी हो। बारा दिनां पछे गाव रा ठावा मिनखां नें भेला कर अर न्याव करावण तांणी सेठारां च्यारूं बेटा, कागद पंचाँ में मेल्यो। कोई न्याव नीं करियो। जद जोधपुर दरबार रे पाखती गिया। दरबार एक कागद जायलरा जाट रे नंव देदियो। के थारों ्‌याव चौधरी करसी। च्यारूं जणा जायल पुगा। चौधर नें। कागद दियो। कागद पढ़ अर च्यारूं भायां ने, च्यार घरां में न्यारा न्यारां राख्या। खुद एक भाटो ले अर मोटोड़ा बेटारे पाखतो गियो। धीमो धीमो बोल्यो:- देख डर मती। म्हूं थारी पाँती तो राखईज दूंलो। पिंण ओ थारे बाप रो पूतलो म्हूं लायो हूँ इंणरे सात खल्ला री ठोकणी है। सेठरो बेटो नटगो। घणओई लोब दिखायो। पिंण वो तो नीं मानियो सो नीईज मानियो। जद चौधरी उंणनै छोड़ अर वारी बारी सूं तीनां रे पाखती गियो। मोटोड़ा दोय तो, मोटोड़ा बाई री तरहै, जबाब दियो। पिंण सगलां सूं छोटकियो खल्ला ठोकण नै, त्यार ह्वेगो। बोल्यो म्हारी पाँती राखतो ह्वो, तो सात तो क्ये, म्हूँ सौ खल्ला ठोकदूं।

चौधरी दरबार ने नांव कागद में लिखियो, के ठोकियो बेटो सेठरो असल नीं है। कमसल है। ईंणरी पाती नीं है। आपने भरोसो नी आवे तो इँणारी मांनै बूझ लिजो। दरबार सेठांणी ने, जाट रो कागद पढ़ अर बुलाई। सेठाणी कैंवण लांगी सांची बात है साब। कै नैनकियो सेठाँरो

बेटो नीं है। सगला सुणअर अचूंम्बो करयो। जद बूझ्यो तो सेठांणी केंवण लागी :- एक वेला री बात है। कैम्हूँ अर सेठजी दोनूं निरजला इग्यारस रो अवसा करियों हो। वेला तलाब णाथै, सिनान-संपाड़ा करण ने जोवता हा। इतरेक में एक कसाई रो घर आयगो। कसाई गाय काटणवालोीज हतो। के सेठजी देखलियो। कसाई नें रोकियो। थूं इंण नें मती मार। पिंण वो नीं मानियो। जद सेठजी जिद करी के थूं चावै ज्यू करले। मागले, पिंण इँ गाय ने छोड़ दे। कसाई सेठजी नै क्यो :- जै थें इँ गाय नें नीं काटण दो, तो आज रात, थारी सेठाणी नें म्हारै पाखती राखो. सेठजी पीला पड़गा। जद म्हूं उणा नें हीमत कराई। के गाय माता रे खातर, जे आप हुकम देवो तो, म्हूं माथो देवंण नें त्यार हूँ। सेठ कसाई नें, हाथ पाणी लिरायो। के वो अबे कदैई जीव हित्या नीं करेला। अर पछे म्हनै बठै छोड अर आयगा। म्हारै ओ नेनकियो बेटो, उणीइज कसाई रो है।
दरबार सेठांणी नें, बगसीस दो। छोटकिया बेटानेंई बरोबर रो बंद दिरायो। लोगांरा मूंडा कुंण पकड़े। कैवता हता :- कमसल कुंण ? दूजोड़ा कैवता कसाईड़ो ?

राज में पोल

वात घणी जूंनी है। एक वेला, दरबार रे राजा में, सांची सुणणिया अर न्याव करणिया दरबार री कमजोरी रो फायदो उठाण में, कीं कसर नीं राखी। दरबार ज्यूं कामदार कैवता, मान लेंवता हा। रैयत भैली ह्वी। जद एक पीरायतजी बोलिया :- म्हूं दरबार नें, चेताय देवूंला। आ बात सुण अर गाँ व रा मिनख आप आप रे घरां गिया। पीरोहितजी दरबार सूं मिलणनें, गिया। दरबार सूं खंमा घणी, कर अर अरज, करी :-

अनंदाता ! आपरा राज में, पोल है। दरबार नाँव ठांव, बूझ अर फरमायो :- पीरोयतजी जठै पोल देखो थेंई बड़जाओ। जो हुकम अनदाता ! कैय अर पीरोयतजी, ह्वीर ह्वेता थका, खमाँ घणी करी। आयगा आपरे घराँ। घराँ आय अर पोथी पानड़ा उठाया। एक मजूरिया, गाडी अर बलदाँरी जोड़ी, लेय गिरा परा, भोका माथै। एक छतरी रे माथै, ापरो डेरो जमायो। मजूरिया नें भुलावण दीदी कै म्हूँ राजा री नौकरी में हूँ। कोई अठै दाग देंवण नें आवे। उणासूं डांण, लेवंण खातर, म्हनैं अनदाता राखियो है। थूं अठेरो चोकीदार है। कोयी, चूक नीं ह्वेणी, जोईजे। चोकीदार हाँमल भरी।

मोटो नगर हतो। रोजीनां घमाई जलमता हा। घमाई भौमका री तियारी करता हा। मोटा मिनखां अर लुगायां रो, दाग रो डांण, रिपियो हतो। टाबरांरी डांग आठ आना। डांण लेय, नांव ठिकांणा लिख, एक भरपाई री रसीद, देंवता हा। एक खाता में, सगलां मरणियां रो, हिसाब किताब राखता हथा। कुंण मरियो ? कद मरियो ? कांई बैामीर ही अर कितरा बरसां रो हो ? फैर खांदियां रा, नांव ठांव अर घर धणी री, सेनांणी लेंवता हो। एक बीजा खाता में। रोजीनांरी, कमाी अर खरचा मेल बैठांण, पछै लारै रेवंता जिका दरबार बापजीरा खजाना में, आपरे नांव सूं जमां करांवता हा।

वरस दो ह्वेगा, घरांणा में कोई माजीसा रामसरण ह्विया। माजीसा ने लेयनें, दरबार बापजी रा, भाी भतीजी ह्विया। माजीस नें लेयनें, दरबार बापजी रा, भाई भतीजा भौमका पूगा। चनणरी अर खोपरांरी, गाडियां पूगी। छतरी रे पाखती, थोड़ी विसांणी, लेवण सारू ठैरिया। धरम दाढ दीवी। पीरोयतजी आया। माजीस रा दुख सूं दुखी ह्विया। फैर हाथ जोड़, नांव ठांव, लिखिया। अंगूठा सैनाणी, ले लेबाय नै एक

रिपियो डांण मांगता थका, क्यो :-अन्नदाता रो हुकम है। म्हूँ टालू तो कींकर टालूं, माजीसारी टेमई, डांण नीं आयो, तो लोग कुंण देसी। सगला हका बका ह्वेगा। एक दूजा कांनी, देखण लागा नाई नें पाछो मेलियो। रिपियो देय अर रसीद लीवी। माजीस नै दाग देय, पाछा आय जद, अन्नदाता सूं, अरज करी :- के इस क्ये घाटो आयो, जिणसूं आपने घ्दाग डांणङ लगाणों पडियो ? दरबार बापजी क्यो :- भाई ! म्हूं डांण नीं लगायो है। जद वे रसी दिखाई, दरबार रा नांव री रसीद। खुदो-खुदो देख अर बुलावो मेलियो। पिंणि पींरोयतजी कैवायो :- के म्हारे पछे, अठे लारै घड़ी दो घड़ी, वैला लाग जावै। कोई डांण री चोरी कर लेवे तो ? थूंजा। बापजी नैं अरज करजे, कै अठै किंणानैं मेलों, तो म्हूँ आंवू। दरबार बापजी नैं पाछो जायने, दरोगो समींचार दीदा, तो अन्नदाता, आपरा कामदार ने मेलियो। पीरोयतजी आप रा सगला पोथो पांनड़ा लेयनैं अन्नदाता ूसं घणी खमां, अरज करी। दरबार क्यो :- पीरोयतजी म्हूँ थांने, डांण रो कद हुकम दीदो ? पीरोयतजी हाथ जोड़ अर करो, अन्नदाता ! आप फरमायो हो, के जठे पोल देखू, वड-जांवू। नगर में तो, सगला वडियोड़ा हता। म्हूँ भौमका माथैईज पोल देखी, जठै किराडू रिपियो, भेलो कर अर, आपरे खजाना में जमा करायो है। गुनो माफ करो, अन्नदाता। जद भौमकारो पोल में, इतरी कमाई है, तो नगर में तो क्यै सेनांण। दरबार सगली बात समजगा। पीरोयतजी नें बगसीसे में, गाँव देय ह्वीर करिया खुद आपरो, काँम ढाबियो। रात रा दरबार सोचता हा, के म्हारा राज में पोल, अबे कींकर रैवेली ? छैवट, दरबार खुद सुणणीं सरू करदी अर पीरोयतजी नै, बताड़दियो कै, अबै म्हारा राजा में पोल नीं है।

कान में फूँक


एक वैला री बात है। दरबार रा हाकम अर ऐलकार सूंक लेंवणी सरू करदी। ितरी सूंक लेंवता के, देंवणियां रो तो दिवालोईज काड देंवता हा। फैर करांवता हा नेम धरम के अन्नदाता नें कियो तो, थनैं जोगमाया री आंण है। ईण सूं, रैयत घण दौरी ही। डरती रो जीव जांवतो हो। एक बीसाजी मारजा हता। वै कीं उपाय करियो। रोजीनां दरबार बापजी रे, मेहल रे सामी, आय नैं हाथ जोड़ अर दरसण करता हा। दरबार रोजीनां देखता हा। एक बैला, बीसाजी नें बुलाया। रोजीनां, आंवण रो मुतलव बूजियोष बीसाजी क्यो :-
म्हूं तो अन्नदाता रा दरसण करणनें, आया करूँ हूं। राम अर राजा, एकईज वात ह्वे है। दरबार जांणियो, केईणरे कीं काम ह्वेला। जिंणसूं आवै है। पाछो अन्नदाता फरमायो :- बीसाजी। कीं कामड़ो ह्वे, तो म्हनै कैवो ? बीसाजी क्यो :- अन्नदाता ! म्हारै तो कीं काम कोनी। जद दरबार, घणो कयो, तो बीसाजी बालिया :- अन्नदाता ! आप घणो कैवो हो, तो म्हूँ मांगू हूं। म्हूं जद रोजीनां, दरसण करणने आंवूं तो आप म्हारै कांन में, फूंक दे दिया करो. दरबार हांमल भरी। जाणियो, ईंणनैं कोई टूणों टाटको, भोलायो ह्वेला।

रोजीनां बीसाजी आंवता। दरबार एकां कोनी लेय अर उणांरे, कांन में फूंक देवता हा। उण बैला में, बीसाजी दो दीन घांटकी रा लटका, अर अर खमाँ घणी कर, ह्वीर ह्वेता। दरबार रा, कांमदार अर मोटा मंतरी अचूंबो करता। सोणचो पड़तो ओ कुंण है ? अन्नदाता, ईंणरे कांन में, क्यै बात कैवै है ? कठैई आपणीं चुगली तो , नीं करै है ? ईंया सोच अर एक वेला, बीसाजी ने बुलावो मैल अर बुलाया। दीसाजी ने बुलावण खुद कांमदरा गिया हा। कामदार दोठो।। बोसाजी, एक टूटोड़ी मांचली माथै बैठा हा। पागड़ी माँचांरे पागा में मेलियोड़ी ही। कीं सोचे हा। थोड़ा थोड़ा मुलकता हा। कामदार आयो। दरबार री

गलाई ईणांनेई, खमाँ घणी अरज करी। बीसाजी; काँमदार ने देख अर चौंकिया। पछे पाछा, समल अर क्यो :- कींकर पधारिया, सिरकार कांमदारां। कामदार क्यो :- परधान मंतरी, आपने याद फरमाया है। म्हूँ, बुलावण नें आयो हूँ। बीसाजी नटगा। म्हूँ तो नीं हालू। अन्नदाता री, घणी बातां रो हाल भेद देंवणो है। थां लोगाँरो तो, दुखडोई है म्हारै। म्हूँ तो, अन्नदाता रो लूण खावुं। जिको उणांरी हाजरी, देंवनीईज पड़ेला। कांमदारां ! थें तो जाणोईज हो, के, आज कितरी सूंक चालै है। अन्नदाता नें, रोजीनां रो घोटोाल तो वतावण रो म्हारो फरज है। सुंणगारो अर भोला वणरो, फरज है, बापजी रो। म्हूँ नीं हालूं। थें जावो।

कांमदारो आयगो। सगली बात करी। मंतरी अर कामदार, डरियाँ। बीसाजी ने मानवणांरी तरकीब सोची। बीजे धाडे सगलाई भैला ह्वेअर उणाँरे घरां गिया। बीसाजी आबुकार दी दो। कांमदरा अरज करी। बीसाजी ! राजा हरिचंद तो हाँ कोनी। आप जांणो हो के अनंदाता। कितराक रिपिया, देवे है। उणांसू गुजारो चलाणो, कितरो दोरो है। अनंदाता सू अरज करी ही के, कीं नौकरी रा, रिपिया बधावो, पिंण नीं मांनी। मिले जिणां में टाबर पाला, के टाबरां रा फैरां खातर राखां ? जद सूंक लेंवणीईज पड़े। सूंक बिनां टबारो नीं चालै। आप अनंदाता नें कैय अर म्हारा पेट माथै, लात मती मारो. आपनै राजी राखांला। जितरी सूंक लेसा आदी आपरी। आदी-में म्हाे सगला रैसाँ। एक वैला तो बोसाजी नटगा। घणों क्यो, जद हांमल भरी। धाड़ीरा जितरीई सूंक आवती, आदी बीसाजी नें देयनें लारलीरा बटबाड़ा पोती परवांण करता हा। बासीजी बरस पांचेक में किरोड़पति ह्वेगा, पिंण दरबार रे सांमीं तो फाटोड़ी अंगरखी अर, मैलो कुचैलो पांगड़ी बांध अर आंवता हा। कांन में फूंक दिराय, अर, लटका कताष खमां घणी कर अर जाता रेंवता।

दरबार बापजी री बरस गांठ आयी। अनंदाता आपरा कामदारां अर बैलियां भैलो, सगलो कटल ले, नगर में निकलिया। हाटां सगली सजायोड़ी ही, दरबार रो जै जै कार ह्वेतो हो. अनंदाता माथै माली फूलां री, अर हाटां वाला गुलालांरी बरसा करण लागा। सवारी आगे सीरे बजार में आयी। एक मिनख लांबो अचकन पैरियोड़ो, झींणी झींणी, धोती पैरियोड़ी अर आंटांणी पागड़ी। बाधियोड़ी ही, उभो हो। हाथ में सोनारो चिटियो जिण माथै, भांतभंतीजी मीनांकारी ही, खाख में घाल अर दरबार सूं खमां घणी करी। फैर अरज करी :- अन्नदाता ? म्हूँ आपने कलेवो करावणीं चावूं हूँ। दरबार फरमायो :- महारै साथै मिनख घणा है, थै कै कदैई ईं जाम करजो। वो क्यो :- अनंदाता सगलां रे पूरो पूरो ईंजाम करियोड़ो है। आप हुकम दिरावो। अनंदाता रो हुकम ह्वियो, अर कटग ठैरगो। उण मिनख रा बैली, सोना रुपारी झारियां सूं, सगलारां हाथ धोवाया। अनंदाता नै बो आपरे घर में लैगो, कांमदरा अर मंतरी ई भैला हा, सगलां नें, सोनारा थालाँ में, तरै तरै रो मिठायां, अर चरका फिरका जिमाया। अन्नदाता रे, आरोगिया पछै सात थाल, हीरां पनां अर मौरां रा बापजी नें निजरांणों कर, अप ह्वीर करिया। दरबार कांमदार सूं होलेसेक बूझ्यो :- ईंण साबूकार नें म्हूं नी पिछाणियो। कुंण है ओ? कांमदार क्यो :- अनंदाता ! ऐ तो बीसाजी है, जिणांरे आप कांन में बात कैवो हो ! दरबार अचूबो करियो, अर फैर हुकम दियो :- बिसाजी हमारा म्हांसू, गढ में आयने मिलोला। जो हुकम अनंदाता ! केय, अर बीसाजी खमां घणीं अरज करी। दरबार बापजी, गढ में पूगा, अर बीसाजी हाजर हुआ। दरबार क्यों :- बीसाजी ! थें इतरो धनमाल कठैसूं लाया ? बीसाजी क्यो :- अनंदाता आपरी किरपासूं ! दरबार पाछो बूझ्यो जद बीसाजी समझाया :- अन्नदाता आपरे मूंडा सूं म्हारै कांन में, फूंक देवणसूंई म्हूं इतरो धन

कमायो है। जिंणांने आप हुकम देवो हा के उंणनें मारदो, उंणने खोंसलो, उंणने छोड़दो। जिणां ने आप कैवो हो लाटालाट अर लियावो, सेठासूं अर करसां सूं डांण लियावो। वै तो काँईठा कितरोई कमवाता ह्वेला ? दरबार समजगा के म्हारा राज में सूंक घणी चालै है। अनंदाता बीसाजी नें फरमायो :- बीसाजी ! आ सूंक रोकण रो उपाय बताओ। बीसाजी बोलिया :- अनंदाता ! मूंगाई रो जमानो है। आप इंणानै मइना रा रिपिया देवो थोड़ा ? घरारां टबारां चालै कोनी। ईंण कारण सूंईसूंक लेंवणी पड़े। उणांरो ईणमें कांई दोष कोनी, पेट तो भरणोइज पड़े। जिणां माथै आपरी घणी मैहर है, उणांरी तो बूझणोई कांई अन्नदाता आप सूंक रोकणी चावो तो, नौकरां री तिनखा बधावो। दरबार रे बात हिये लागी. वे सूंक रोक अर आपरी, रैयत नें सोरी करण सारू नौकरां री तिनख बधाई।

बाई ने लेगी बुगां

एक हा महाराज। उंणांरी नाँव अखा माराज हो। वे गाँव में, लोगाँने, सनिसर रो डर बताय नै, लोरस रो दाँन लेंवता हा। भोला गाँव वाला उणाँने आये सनिसररो लोरस देंवता हा। एक बैला काल पड़ियो, जद माराज मुलक छोड़र कठैई जाँवण नें व्हीर व्हिया। लोरस जितरोई, दोय तीन मंण हो, परतापा बांणियां री हाट में मेल दियो। सेट नें भोलावण जाँवताथका दे दी। माराज आपरो टबारो परदेसाँ में चलाँवता हा। अठीनै मैह बरसियो, अर लोरस रो भाव मूंधो ह्वियो। परतापा वाँणियां री निंवत पलटी। माराज रो, सगलोई लोरस बैच नै रिपिया विल्लै लगाया।
गाँव में मैह पाँणी रा समींचार सुंण, अर अखामाराज गाँव काँनी हर करी। गाँव आया। सेठसूं लोरस माँगियो। सेठ क्यो :- माराज ! थें जठै

मैलियो हो, वठैईज समालो। माराज घमोई भालियो, पिंण एक तीबईनी मिली। फैर सेठ नैं बूझियां जद वो क्यो :- अखा महाराज ! काल में ऊदरा मोटा मोटा कोला ह्वू क्यूं ह्यिया हा। कांई ठा ऊदरा नीं खायगा है। माराज दीठो। परतापा रीं निंबत बदलगी पिंण लोरस तो पाछो कडावणोंईज है।
वै क्हयो :- कीं कोनीं खायगा तो खायगा। फैर कमावांला। माराज दूणों तीणों मेल परतापा सूं राखण लागगा।
एक वैला री बात के परतापा सेठ री बेटी रो ब्याव मंडियो। माराज फैरा रे साधै दिन वानोली दियो। आथण रा, परतापा री बेटी नैं जिमामण लेगा। वठै उंणने सगली बात करी कै बेटी थारो बाप म्हारी अमांनत खायगो। म्हूँ जा कडावणीं चावूं हूं। थूं बोली बोली बैठी रैजै। फेराँ री वैला व्हेगी। माराज रै घरा सूं बेटी नीं आई जद दोय च्यार बुलावा मेलिया। छैवट खुद सेठाँ नै आँबणो पड़ियो। माराज आवुकार दीदो। सेठ क्यो :- बाई कठै ? उंणरे फैराँ रो वेला व्हेगी। माराज बोलिया :- वो तो घर रै माथै जीमती ही थैं बुलायलो। घर रै माथै जाय नै दैखे, तो वठै कुंणई नीं। माराज नैं हेलो पाड़ियो। माराज आया। सेठ क्यो :- बाई तो अठै कोनी। माराज बोलिया :- काँइठा कठैगी, बैठी तो माथैईज ही। हाँ घर में बुगा घणी है, कांईठा कोई लेगी तो नीं है। सेठ क्यो :- बाई नें बुगाँ लेगी ? आ कदैई व्हे है। माराज क्यो:- हाँ व्हे है। जितरै में गाँवरां मिनख भैला व्हेगा। न्याव करण लागा, कै बाई ने बुगाँ नीं ले जा सके। माराज बोलिया :- लोरस नें उदरा खा सके है क्यै ? लोक क्यो :- नीं खा सके। सगली बात सुणाई जद लोग सेठ ने बुझियो। सेठ हाँ करगो के म्हूं लोरस बेच दियो। रिपिया माराज नें दैंवण नें त्यार हूं। माराज सेठ री बेटी नें बुलाई। एक मसखरो उभो वो बोलियो :-
ठग मिल्लिया ठगाँ, बात आयगी पगाँ।
लोरस खायगा ऊंदरा, बायी नें लेगी बुगाँ।।

वरजूड़ी रो तप


एक ही छौरी। फूटरी फर्री। गौरी निचोर ! नाँव हो वरजूड़ी ! चालती जौणै हथणी चालै। बोलती जाँणै कोयलड़ी टहुकै ! आंखियाँ जाँणै हिरणी सूं खोस अर लाई ही। ह्वेला वरस पनराकरी। जिसी मिसरी ह्वेज्यूं मीठी बोलती ही ! विसीईज वा, गाँव में फबती ही। वरजूड़ी आँख में घालियोड़ी ईनीं खटकती।

जद वरजूड़ी माथा माथै ईंडांणी घड़ो मेल अर पांणी नें, धीमी धीमी मुलकती व्हीर व्हेती, तो देखणिंया री आंखिया, देखता देखताँ तिरपत व्हे जाती। घड़ो उंचाँवणियाँ री, विंणरे कमी कोनी ही। पिंण मजाल है, छौरी रे साँमों, कोयी ओल पचोल बोल जावे। एक वेला री बात है। के केमल घड़ो उचावतो हो अर थोड़ो सोक नक गालड़ा रे चुबोय तो वरजूड़ी घड़ो पटक दियो। राड़ माँडदी। वा बोली अर प्रेमलो खल्लाँ रो मोको देख, नासगो। नींतर ठा पड़ती। वरजूड़ी जे हंस अर बाँता करती, तो एक हेमला सूं करती। अर हेमला विनाँ वा, दिन तो मोटो ह्वे है, घड़ी भरई नीं रेवंती। हेमलोई वरजूड़ी विनाँ, एकलो नीं रेंवतो हो।
 दिन-रात, मोड़ा-वेगा, दोनूं भैलाई रेंवता हा। काम काज री, कीं परवा नीं करता हा। दोनाँरा भाई भोजाई, घमाई दौरा हा पिण जोर काँई करै। एकर हेमलो आपरी साँढियाँ चारण नें गियो हो. अर पखवाड़ा पछे आयो, तो बरजूड़ी पीली पट पड़गी ही। हेमला री हालत सुणताँ पाँण, घढ़ो भरयोड़ो पटक अर साँमी धोड़ो। बाथ में पकड़

हेमला ने, अर सिसक सिक डुसकिया भरण लागी। हेमलो बोली राखी। अर कियो :- गैलणीं मिनख, बारा बार मईाँ, आगा रैबैं। बैई मिनख ह्वैला, और थूं, एक पखवाड़ा में ई, धोली पीली पड़गी। फैर थूं समझणी है, के म्हूं थारे क्ये लागूं ? काँईठा, थूं कठै रैसी, अर म्हूँ कठै रैसूं। इतरी सुणताँई, वरजूड़ी धोली फट पड़गी। अर चुनड़ी रा पला सूं आखियाँ पूंछी। हेमलो आथण, आँवण रों केयनें, आपरे घरां गियो परो। खाणाँ पिणां छूटगा। आँखियाँ में साबँण-भादवा री नंदियाँ-वैवण लागगी। दिन आथमते पाँण, हेमलो वरजूड़ी रे घराँ आयो। पिंण वरजूड़ी रिसीजगो ही। मनीजोई कोनी। जद हेमलो जाँवण नें त्यार व्हे, ढाणी सूं बारै आयो, तो वरजूड़ी लारै आयी, और दोनू मिलिया। एक दूजा नें परखावाड़ा रा समींचार, बूझ्या अर किा। पछे करणा पड़िया कौल वचन हेलम नें, कै म्हूं परणीजूंला तो थनैई; दूजी नें नीं। अर पछे वाताँ चालती री ही। दोनूं जणा एक दूा रे रंग में गैरा रंगिजियोड़ा हा। वरजूड़ी री भौजाई. हेलो पाड़िया :- बाईसा ! दूध उफण जासी। थें चूला रे पाखती जाय नै बैठो. पिंण वरजूड़ी रा कानां में तो हेमलराईज बोल सुंणिजता हा। भौजाई री बात रो कीं मोल नीं हो। उठीनें हेमलनें उँणरो भाई खेमलो हेलो दियो :- के भाईसा ! व्यालू करलो। पिंण हेमलो आवूं हूं। इतरो कैय नै बातां में लांगगो। आदीक रातरा, दोनूं जणा उठिया। आप आप रे घरां गिया। वरजूड़ी री भौजाई, वरजूड़ो माथै रीस बली अर काडी गालियां। फैर समझाई। जद वरजूड़ी, डुसकिया भरती थकी बोली :- भाभी ! हेमला नें म्हूँ म्हारो तन मन अरपण, कर दियो है। म्हूँ उणनें म्हारो धणी मान लियो है। सैंस जतन करूँ तोई, हेमला विनां म्हारो, जीवणो नीं ह्यु। लुगाई रे एक इज धणी ह्वे है। एक धणी म्हूँ धार लियो है।

वेला ह्वे तां देर लागी। ईदर रुसगो सैसार माथै। भादरवो निकलगो पिंण पड़ी छांटईज कोनी। हेमलारो बाबा सोढियांरो टोलो, हेमलारे साथे कठैई चरावण नै ह्वीर करियो. जदहेमलो जांणियो के म्हूं काले पाछा आ.न नै बरजूड़ी सूं मिलूंला। आ जांण अर व्ही ह्वेगो हो। घर कोसां, घर मंजला जांतो जांतो जमाना रा गांवां में पूगगो जठै डेरो दी दो।

वरजूड़ी रो बाप, अमल डोड़ां रो बंधांणी हतो। मां बाला पण में ई मरगी ही। जड डोकरो बीजो ब्याव मांड अ र लुगाई लायो हो आ मासी छौरी में दुख देंवती अर दिरांवती ही। काल पड़्यो जद टोकरा रे डोडां रोईकाल पड़गो। खांवण ने दांणा दौरा ह्वेगा। जद उंणरी लुगाई कियो :- छौरो फैरां जोगी ह्वियोडी है। थें च्राय पांच हजार रिपिया लेय नें इशने परणाय दो। डोकरो उंणरा अर अमल रा कैणा में हतो। वो क्यो :- थे कोई, इसमो मिनख बतावो. जिणरे साथे म्हूँ वरजूड़ी नै मेलदूं। वरजूड़ी री मासी क्यो :- म्हारै एक काको है। घणोई मालदार अर भागियो है। तीन छौरा ऐक छौरी है। पिंण काकी पौरईज खूटी है। दोनुं धमई लुगाई सला विचार अर बात पकी करली। वरजूड़ी री मासी, जाय नै काका ने क्यो। काको जुगतोजी, बरस चालीसेक में हथा। काबरड़ी डाडी माथै हाथ फैरता थका खैखारो करियो। क्यो:- म्हनै आ बात दाय आयो। थैं जिण टैम फैरा करावोला। म्हूं च्यार हजार रोकड़ा, चंवरी माथै गिणदूंला। यूं कैय नें, डोकरो आपरो मोटोड़ा छौरा ने हेलो पाड़ियो :- किसनिया ओ किसनिया ! बाई बापू रो मीटो मूंडो कराड़ ! किसनियो भणियो गुणियो हतो बो बाबो रो कैणो तो कीदो। पिंण ओ ब्याव उँमरे दाय नी आयो। आथणरा किसनियो, छानैसे मोको देख अर सगली बात वरजूड़ी ने कैयदी अर गियोपरो। छौरी नैं नींद नीं आयी। वा मांच माथै पड़ी पड़ी तारा अर

चांद देखती ही। सोचती ही। इतरेक में जोरदार आंधी आयी। वरजूड़ी मांचा सूं हेटी उतरी, उतरती तो हसी मांचो माँने लेंवण खातर। पिण मन में उथल पुथल माचौड़ी हती। बारै निसरगी फैर रातराईज हेमला सूं मिणल नै व्हीर व्हेगी। आपरो घर छोडङर। गैले गलै घोड़ी जांवती ही। जितेरक में, उंणनें प्रेमलो, सांमो आंवतो दिखियो वरजूड़ी डरू फरूं ह्वेगी, क्यूं कै ओीज तो पेरमो, एक वैला, इंणरे नख चुबीयो हतो। पेमलो नेड़ो आयो, वरजूड़ी ने पिछांण अर क्यो :- वरजू, थूं कुवेला रा कठै जावै है ? म्हूं जाणू हूँ कै थारो ब्याव जुगतोजी सूं करैला। आ बात खोटो है, पिंण थू कठै जावेली। वरजूड़ी-वीरा म्हूँ तो हेमला रे पाखती जावणी चाबू हूं. जावूंला। पेमलो क्यो-वरजू ! थूं म्हनै माफ करदे, म्हूँ थारो आजसूं धरम भाई हूं। थनै हेमला सूं जरूर जरूर मिलावूंला। थूं म्हारै साथै चाल। दोनूं जाणा भाई बैन बिण्या, अर व्हीर ह्वेगा गैले गैले।
दोय च्यार दिन ह्विया। गांव में वरजूड़ी अर पेमलो नीं दिखिया। जद लोग अटकलबाजी सूंगपां छोडी कै वरजूड़ी ने लेय अर पेमलो नाठगो। हेमलना ने गियां पछै, घणा दिन व्हेगा हा। वरजूडी री याद रै रै आंवण लागी। जद बो आपरा बैलियां नै, टोली भोलाय नै, ढांणी आयो। हको बको व्हेगो जद आ सुणीं कै वरजूड़ी पेमला भैली, गी परी। कालजा में बलत लागगी। व्हेंगो पांणी पांणी। हेमला रो बाप, मोको दीठो अर हेमला नैं, परणीजण खातर, राजी करियो। हेमलो बींद बणियो, जांनाचडी। वरजूडी अर पेमलो, एक ढाणी गिया। जठै डोकरो हुकमजी घर में सौरा हता। वै इंणा नै, अठै रोक अर क्यो-बेटा, पेमा थें हेमा ने, लियावो, फैरा म्हूँ करावू ला। बाई अठै छौ बैठी। पेमलो हेमला सूं, मिलण व्हीर व्हियो। वरजूड़ी हुकमो जी री ढांणी रैगी।

गैला में, हेमला री जान रे लारे, दोय धाड़ायती उंट लेय नै लूंटण सारू, व्हीर व्हेगा हा। जानां एक ठौड़, डेरो दियो। धाड़ायती एक हाको करियौ। हाकल सूंणतां पांण, सगला जानी धोड़गा। हेमलो बठै ईज रैगो। घाड़वी हेलमा नै, भैलो बांध लियो। धनमाल लूंट अर लियाया। धाड़वी आदीक रातरा हुकमोजी री ढांणी आया, डोकरा ने बांध अर ढांणी में धनमाल लावण नै वड़िया फैर एक तो बारै धन रो अर हेमलाङर हुकमोजी रो, पैरायती रैगो। बीजोड़ो गियो ठाँणी में। वरजूड़ी आंगणां में, माचो ढालियां, सूती होती। वा हाका हड़बड़ सूं जांणगी कै कोई धाड़वी है। वा उठी। एक तरबारड़ी काट में भरियोड़ी, हुकमोजी रे झूंपड़ा में पड़ी ही। हाथ में लेय एकांकांनी, लुक अर ऊबगी। धाड़वी, झूंपा में मूंडो घालियो। के खटक करती, माथो वाड नै नांख दियो। जांणै माताजी रै आगै भोग लगायो है। फैर निकली बारै। बारै वालो धाड़वी मांचा माथै, आडो पसवाड़ो कर्यां, सूतो हतो. थोडी थोड़ी उंघ आंवती हती। इतरेक में वरजूड़ी एकइज भचका में, धरती माथै सूं सुरग, मैल दियो। पछै, तरवार आगी मैलङर हुकमोंजी ने खोलिया। उभी व्हे अर सामो भालियो, तो बींद बिण्योड़ो, हेमलो खूटां रे, ठोगड़ियों बंधियोड़ो व्हवे ज्यूं उभो। वरजूड़ी जांणियो, पेमलो इंणनै लांवतो हतो। पिंण धाड़वी आ करी। वरजूड़ी हुकमोजी नै क्यो :- बाबा ! ओईद तो हेमलो है। जिणरे खातर म्हूँ, घर छोडियो। पेमला नै बुलावण तांणी मेलियो। हुकमोजी, हेमला नें खोलतो थको बुझियो :- हेमोजी, थांने पेमो बुलावण आयो हो। बो कठै। हेमलो अचूंबो करियो, के गांव वाला तो केवता हा वरजूड़ी पेमला भैली, रेबणा सारू भाजगी। अठैस पेमलो म्हनै बुलावण गियो है। हेमल सगली बात वरजूड़ी ने की। बरजुड़ी की वा सुणी। हुकमो जी, आपरी ढांणी रे गले, घेवर माराज रेंवता हता। उणां ने बुलाया। अर फैरा व्हेण लागा माराज बीच मे

क्यो :- किन्यादान कुंण करेला ? जद हुकमोजी क्यो :- म्हूँ करूंला। फैरा व्हेण लागा, जद माराज क्यो :- बाई रा भाई नै बुलावो ! इतरेक में, पेमलो खोला टाँगियोड़ो, हाथ में डांगड़ो लियोड़ौ, आयगो। वो ढाँणी में, वड़तोई क्यो :- माराज म्हूं आवूं हूं। दो तीन धाड़ा परणिंया पाछै वठै रिया। फैर सीख माँगी ! व्हीर व्हेती वेला, हुकमोजी डोकरो रोंवण लागगा। वै क्यो : हेमोजी ! थें म्हारे अठैई, घर जंवाई रै जावो। नींतर म्हूँ इंण छोरी बिनाँ जींबतों नीं रेवूंला। हेमलो पाछो उतरगो। घर जवाई रैगो। पेमलो आपरे घराँ ाय अर सगली बात लोगाँ नै करी। जद घासीराज जी माराज क्यो :- वरजूड़ी रो तप पूरो व्हियो। अबै वा राजी खुसी रैवै आ ठाकुरजी सूं अरज करो।

 

 

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